21 Jun
2019

जुडिशरी एग्जाम स्कोर बूस्टर CRPC 1973 POWER OF COURTS ( न्यायालयों की शक्ति )

न्यायालयों की शक्ति अध्याय 3 , धारा 26 से 35 में वर्णित है ।

भारतीय दण्ड संहिता के अधीन किये गये अपराध का विचारण उच्च न्यायालय द्वारा अथवा सेशन न्यायालय द्वारा या किसी ऐसे अन्य न्यायालय द्वारा किया जा सकता है , जिसे दण्ड प्रक्रिया संहिता की प्रथम अनुसूची में दर्शित किया गया है ।

जब किया गया अपराध भारतीय दण्ड संहिता से भिन्न अन्य विधि के अधीन किया गया हो तब उसका विचारण उस न्यायालय द्वारा किया जायेगा जो उस विधि में उल्लिखित हो ।

धारा 26उक्त विधि में किसी न्यायालय का उल्लेख न होने की स्थिति में , ऐसे अपराध का विचारण उच्च न्यायालय द्वारा अथवा द . प्र . सं . की प्रथम अनुसूची में दर्शित किसी अन्य न्यायालय द्वारा किया जा सकता है ।

दण्ड प्रक्रिया संहिता ( संशोधन ) अधिनियम , 2008 के द्वारा धारा 26 के उपखण्ड ( क ) के अन्त में परन्तुक जोड़ा गया जिसमें 2013 और 2018 में भी संशोधन किया गया है जो इस प्रकार है-

👉 ‘ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 , धारा 376 क , धारा 376 क ख , धारा 376 ख , धारा 376 ग , धारा 376 घ , धारा 376 घ क , धारा 376 घ ख या धारा 376 ङ के अधीन किसी अपराध का विचारण यथासाध्य ऐसे न्यायालय द्वारा किया जाएगा , जिसमें महिला पीठासीन अधिकारी हो ।

किशोर अपराधियों का विचारण ( Trial of Juvenile Of fenders ) –
धारा 27- ऐसा व्यक्ति जिसकी आयु न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने या लाये जाने के समय यदि 16 वर्ष से कम है और उसके द्वारा किया गया अपराध मृत्यु दण्ड अथवा आजीवन कारावास से दण्डनीय नहीं है तो ऐसे किशोर द्वारा कारित अपराध का विचारण या तो मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा अथवा बाल अधिनियम 1960) द्वारा या किशोर अपराधियों के उपचार प्रशिक्षण एवं पुनर्वास के लिए उपबन्ध करने वाली किसी अन्य विधि के अधीन विशेष रूप से सशक्त किये गये न्यायालय द्वारा किया जा सकता हैं ।

👉 किशोरों के सन्दर्भ में अधिकारिता के प्रयोग के लिए किशोर न्याय ( बालकों की देखरेख एवं संरक्षण ) अधिनियम , 2000 वर्तमान में प्रभावी है ।

न्यायालयों द्वारा दण्डादेश दिये जाने की अधिकारिता ( Power of Courts to pass sentences ) – उच्च न्यायालय विधि द्वारा प्राधिकृत कोई दण्डादेश दे सकता है । सेशन न्यायाधीश अथवा अपर सेशन न्यायालय भी विधि द्वारा प्राधिकृत कोई दण्ड दे सकता है । किन्तु उसके द्वारा मृत्यु दण्डादेश दिये जाने पर उच्च न्यायालय को उसे पुष्ट ( Confirm ) करना होगा ( धारा 366 से 371 )

धारा 28सहायक सेशन न्यायाधीश दस वर्ष तक की अवधि के कारावास तथा जुर्माने का दण्डादेश दे सकता है ।

👉 मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एवं मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट सात वर्ष तक की अवधि के कारावास एवं जुर्माने का दण्डादेश दे सकता हैं

👉 प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट तथा महानगर मजिस्ट्रेट तीन वर्ष तक की अवधि का कारावास अथवा दस हजार रुपये जुर्माना या दोनों का दण्डादेश दे सकता है ।

धारा 29द्वितीय वर्ग मजिस्ट्रेट एक वर्ष तक की अवधि का कारावास अथवा पाँच हजार रुपये जुर्माना या दोनों का दण्डादेश दे सकता है ।

दण्ड प्रक्रिया संहिता ( संशोधन ) अधिनियम , 2005 के द्वारा संहिता की धारा 29 के उपधारा ( 2 ) में शब्द पाँच हजार रुपये के स्थान पर शब्द ” दस हजार रुपये तथा उपधारा ( 3 ) में शब्द ‘ एक हजार रुपये के स्थान पर शब्द ” पाँच हजार रुपये प्रतिस्थापित किया गया है

👉 किसी सिद्धदोष व्यक्ति द्वारा जुर्माना देने में व्यतिक्रम ( Default ) करने में न्यायिक मजिस्ट्रेट का न्यायालय ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध उतनी अवधि का कारावास अधिनिर्णीत कर सकता है , जो विधि द्वारा प्राधिकृत है ,

👉 किन्तु मजिस्ट्रेट द्वारा इस रूप में निर्णीत कारावास उतनी अवधि से अधिक नहीं होगा , जितनी तक के लिए मजिस्ट्रेट धारा 29 , द . प्र . सं . के अधीन सशक्त किया गया है ।

👉  कारावास मुख्य दण्डादेश के एक भाग के रूप में दिये जाने की स्थिति में उस कारावास की अवधि के एक चौथाई से अधिक नहीं होगा , जिसको मजिस्ट्रेट उस अपराध के लिए देने के लिए सक्षम हैं , न कि जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने पर ।

धारा 30— दण्ड के तौर पर जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने पर अधिनिर्णीत कारावास , सम्बन्धित मजिस्ट्रेट द्वारा धारा 29 , ( द . प्र . सं . ) के अधीन अधिनिर्णीत की जा सकने वाली अधिकतम अवधि के कारावास के मुख्य दण्डादेश के अतिरिक्त हो सकता है

👉 यदि अपराध भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत किया गया ऐसा अपराध हैं , जो मात्र जुर्माने से दण्डनीय है

-तो जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने के स्थिति में अधिरोपित कारावास सादा होगा तथा

-जुर्माना की धनराशि पचास रुपये तक होने पर अधिकतम दो मास का कारावास ,

-जुर्माना धनराशि एक सौ रुपये होने पर अधिकतम चार मास का कारावास और

-किसी अन्य स्थिति में अधिकतम छह मास का कारावास अधिरोपित किया जायेगा ।

किसी अभियुक्त को एक ही विचारण में एक से अधिक अपराधों के लिए दोषसिद्ध किये जाने पर न्यायालय भारतीय दण्ड संहिता की धारा 71 के अधीन रहते हुये उसे विभिन्न अपराधों के लिए उपबन्धित दण्डों में से वह दण्ड दे सकता है , जिसके लिए वह प्राधिकृत है ।

👉 न्यायालय द्वारा एक साथ भोगे जाने का निदेश न दिये जाने पर , ऐसे विभिन्न दण्ड एक क्रम से प्रणीत होंगे ।

👉 कई अपराधों के लिए एक साथ दिये गये विभिन्न दण्डादेशों का कुल योग उस मात्रा से अधिक हो जाने पर जिसके लिये वह न्यायालय सक्षम है , न्यायालय के लिए उस अपराधी को विचारण के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष भेजना आवश्यक नहीं है

👉 किन्तु इस प्रकार विभिन्न अपराधों के लिए दिये गये दण्ड की कुल मात्रा चौदह वर्ष के कारावास के दण्ड से अधिक नहीं होगी एवं कुल दण्ड की मात्रा उस दण्ड की मात्रा के दुगुने से अधिक नहीं होगी , जिसे एक अपराध के लिए देने के लिए वह न्यायालय सक्षम है ।

👉 किन्तु दोषसिद्धि के पश्चात् अपराधी द्वारा दोषसिद्धि के विरुद्ध अपील के प्रयोजन के लिए विभिन्न अपराधों के लिए दिये गये दण्डादेशों का कुल योग मिलाकर एक दण्डादेश समझा जायेगा ।

यदि आपके पास कोई प्रश्न या सुझाव है, तो कृपया हमें -piyushv05@gmail.com पर मेल करके बताएं !

⏳ पिछले लीगल बज्ज ऑनलाइन मॉक टेस्ट

UPDATE EVERY WEEK
IMG-20221011-WA0000
IMG-20221011-WA0005
IMG_20230604_163927_057

TAGS

#IPC1860 #CRPC1973 #CPC1908 #EVIDENCEACT1872 #CONSTITUTION #TRANSFEROFPROPERTYACT1882 #CONTRACTACT1872 #LIMITATIONACT1963 #SPECIFICRELIFACT #JUDICIARY #LAWEXAM #ONLINEMOCKTEST #JUDGE #LEGALBUZZNOW #ADVOCATELAW #JUSTICE #LEGALPROFESSION #COURTS #JUDICIAL #LAWYERS #LEGAL #LAWYER #LAWFIRM #SUPREMECOURT #COURT #LAWSTUDENTS #INDIANLAW #SUPREMECOURTOFINDIA #UGCNET #GK #ONLINELAWCOUCHING #LAWSTUDENTS #SPECIALOFFER #CRIMINALLAW #HUMANRIGHTS #CRPC #INTELLECTUALPROPERTY #CONSTITUTIONOFLNDIA #FAMILYLAW #LAWOFCONTRACT #PUBLICINTERESTLAWYERING #TRANSFEROFPROPERTY #LAWOFTORTS #LAWOFCRIME #COMPANYLAW #LEGALSCHOOL #ELEARNING #LAW #ONLINEEDUCATION #DIGITALLAWSCHOOL #LAWSCHOOL #LEGAL #ONLINELEGALPLATFORM #INDIALAW #DIGITALLNDIA FOR RJS MPCJ UPPCSJ CHATTISGARAH UTRAKHAND JHARKHAND BIHAR JUDICIARY EXAMS RJS MPCJ UPCJ LAW COACHING JAIPUR JUDICIARY EXAM LAW QUIZ free online mock test for civil judge pcs j online test in hindi delhi judicial services mock test up pcs j online test

Website Total Views

  • 1,736,925
📢 DAILY VIBES